रविवार, 22 जुलाई 2018

हमारा राष्ट्रीय ध्वज

हमारा राष्ट्रीय ध्वज

जय हिंद
22 जुलाई : राष्ट्रीय झण्डा अंगीकरण दिवस
राष्ट्रीय झण्डा अंगीकरण दिवस हर वर्ष 22 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन अर्थात 22 जुलाई, 1947 को राष्‍ट्रीय ध्‍वज तिरंगे को भारत के संविधान द्वारा अपनाया (अंगीकृत) गया था। 'तिरंगा' भारत का राष्ट्रीय ध्वज है जो तीन रंगों से बना  है इसलिए हम इसे तिरंगा कहते हैं। तिरंगे में सबसे ऊपर गहरा केसरिया, बीच में सफ़ेद और सबसे नीचे गहरा हरा रंग बराबर अनुपात में है। ध्‍वज को साधारण भाषा में 'झंडा' भी कहा जाता है। झंडे की चौड़ाई और लम्‍बाई का अनुपात 2:3 है। सफ़ेद पट्टी के केंद्र में गहरा नीले रंग का चक्र है, जिसका प्रारूप अशोक की राजधानी सारनाथ में स्थापित सिंह के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले चक्र की भांति है। चक्र की परिधि लगभग सफ़ेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर है। चक्र में 24 तीलियाँ हैं।

तिरंगे का निर्माण

हमारे राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास भी बहुत रोचक है। 20वी सदी में जब हमारा देश ब्रिटिश सरकार की ग़ुलामी से मुक्ति पाने के लिए संघर्ष कर रहा था, तब स्वतंत्रता सेनानियों को एक ध्वज की ज़रूरत महसूस हुई क्योंकि ध्वज स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का प्रतीक रहा है। सन् 1904 में विवेकानंद की शिष्या सिस्टर निवेदिता ने पहली बार एक ध्वज बनाया जिसे बाद में सिस्टर निवेदिता ध्वज से जाना गया। यह ध्वज लाल और पीले रंग से बना था। पहली बार तीन रंग वाला ध्वज सन् 1906  में बंगाल के बँटवारे के विरोध में निकाले गए जुलूस में शचीन्द्र कुमार बोस लाए। इस ध्वज में सबसे उपर केसरिया रंग, बीच में पीला और सबसे नीचे हरे रंग का उपयोग किया गया था। केसरिया रंग पर 8 अधखिले कमल के फूल सफ़ेद रंग में थे। नीचे हरे रंग पर एक सूर्य और चंद्रमा बना था। बीच में पीले रंग पर हिन्दी में वंदे मातरम् लिखा गया था। सन 1908 में सर भीकाजी कामा ने जर्मनी में तिरंगा झंडा लहराया और इस तिरंगे में सबसे ऊपर हरा रंग था, बीच में केसरिया, सबसे नीचे लाल रंग था। इस झंडे में धार्मिक एकता को दर्शाते हुए; हरा रंग इस्लाम के लिए और केसरिया हिन्दू  और सफ़ेद ईसाई व बौद्ध दोनों धर्मों का प्रतीक था। इस ध्वज में भी देवनागरी में वंदे मातरम् लिखा था और सबसे ऊपर 8 कमल बने थे। इस ध्वज को भीकाजी कामा, वीर सावरकर और श्यामजी कृष्ण वर्मा ने मिलकर तैयार किया था। प्रथम विश्व युद्ध के समय इस ध्वज को बर्लिन कमेटी ध्वज के नाम से जाना गया क्योंकि इसे बर्लिन कमेटी में भारतीय क्रांतिकारियों द्वारा अपनाया गया था। सन 1916 में पिंगली वेंकैया ने एक ऐसे ध्वज की कल्पना की जो सभी भारतवासियों को एक सूत्र में बाँध दे। उनकी इस पहल को एस.बी. बोमान जी और उमर सोमानी जी का साथ मिला और इन तीनों ने मिल कर 'नेशनल फ़्लैग मिशन' का गठन किया। वेंकैया ने राष्ट्रीय ध्वज के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से सलाह ली और गांधी जी ने उन्हें इस ध्वज के बीच में अशोक चक्र रखने की सलाह दी जो संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बाँधने का संकेत बने। पिंगली वेंकैया लाल और हरे रंग के की पृष्ठभूमि पर अशोक चक्र बना कर लाए पर गांधी जी को यह ध्वज ऐसा नहीं लगा कि जो संपूर्ण भारत का प्रतिनिधित्व कर सकता है। राष्ट्रीय ध्वज बनाने के बाद पिंगली वेंकैय्या का झंडा  वेंकैय्या के नाम से लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया l

मंगलवार, 17 जुलाई 2018

रख होंसला वो मंजर भी आयेगा
प्यासे के पास चल कर ,
समंदर भी  आयेगा
हिम्मत मत हार
ए राह के  मुसाफिर ,
मंजिल भी मिलेगी
और मिलने  का मजा भी आयेगा  

गुरुवार, 5 जुलाई 2018

सोशल मीडिया की गंदगी

#बलात्कार अचानक इस देश मे क्यो बढ़ गए ?

आओ देखे समस्या कहां है कुछ समझने की कोशिश करें कुछ उद्धारण से समझते हैं

1) लोग कहते हैं कि *#रेप क्यों होता है?*

*एक 8 साल का लडका सिनेमाघर मे राजा हरिशचन्द्र फिल्म देखने गया और फिल्म से प्रेरित होकर उसने सत्य का मार्ग चुना और वो बडा होकर महान व्यक्तित्व से जाना गया।*

#परन्तु
*आज 8 साल का लडका #टीवी पर क्या देखता है?*
*सिर्फ #नंगापन और #अश्लील वीडियो* और #फोटो, मैग्जीन में अर्धनग्न फोटो, पडोस मे रहने वाली भाभी के छोटे कपडे!!

लोग कहते हैं कि *रेप का कारण बच्चों की #मानसिकता* है।
पर *वो मानसिकता आई कहा से?*
उसके जिम्मेदार कहीं न कहीं हम खुद जिम्मेदार है। क्योकि हम #joint family में नही रहते।
*हम अकेले रहना पसंद करते हैं। और अपना परिवार चलाने के लिये माता पिता को बच्चों को अकेला छोड़कर काम पर जाना है।* और बच्चे अपना अकेलापन दूर करने के लिये *#टीवी और #इन्टरनेट* का सहारा लेते हैं।
और *उनको देखने के लिए क्या मिलता है सिर्फ वही #अश्लील# #वीडियो और #फोटो तो वो क्या सीखेंगे यही सब कुछ ना?*
अगर वही बच्चा अकेला न रहकर अपने दादा दादी के साथ रहे तो कुछ अच्छे संस्कार सीखेगा ।
कुछ हद तक ये भी जिम्मेदार है।

2) पूरा देश रेप पर उबल रहा है,

*छोटी छोटी बच्चियो से जो दरिंदगी हो रही* उस पर सबके मन मे गुस्सा है, *कोई सरकार को कोस रहा, कोई समाज को* तो कई feminist सारे लड़को को बलात्कारी घोषित कर चुकी है !

*लेकिन आप सुबह से रात तक*
*कई बार sunny leon के कंडोम के add देखते है ..!!*
*फिर दूसरे add में रणवीर सिंह शैम्पू के ऐड में लड़की पटाने के तरीके बताता है ..!!*
ऐसे ही Close up, लिम्का, Thumsup भी दिखाता है *#लेकिन तब आप को गुस्सा नही_आता है, है ना ?*

आप अपने *छोटे बच्चों के साथ music चैनल* पर सुनते हैं 
*दारू बदनाम कर दी,*
*कुंडी मत खड़काओ राजा,*
*मुन्नी बदनाम, चिकनी चमेली, झण्डू बाम, तेरे साथ करूँगा गन्दी बात,* और न जाने ऐसी कितनी मूवीज गाने देखते सुनते है 
*#तब आप को गुस्सा नहीआता??*

*मम्मी बच्चों के साथ Star Plus, जी TV, सोनी TV देखती है जिसमें एक्टर और एक्ट्रेस सुहाग रात मनाते है।* किस करते है। आँखो में आँखे डालते है
और तो और *भाभीजी घर पर है, जीजाजी छत पर है, टप्पू के पापा और बबिता जिसमे एक व्यक्ति दूसरे की पत्नी के पीछे घूमता लार टपकता* नज़र आएगा 
पूरे परिवार के साथ देखते है।-
*#इन सब_serial को देखकर आप को गुस्सा नही_आता ??*

*फिल्म्स आती है जिसमे किस (चुम्बन, आलिंगन), रोमांस से लेकर गंदी कॉमेडी आदि सब कुछ दिखाया जाता है।*
पर आप बड़े मजे लेकर देखते है 
इन सबको देखकर आप को गुस्सा नही_आता ??

*खुले आम TV- फिल्म वाले आपके बच्चों को बलात्कारी बनाते है, उनके कोमल मन मे जहर घोलते है।*
*#तब आपको गुस्सा नही आता?*
क्योकि 
*आपको लगता है कि*
*रेप रोकना सरकार की जिम्मेदारी है।* पुलिस, प्रशासन, न्यायव्यवस्था की जिम्मेदारी है ....
*लेकिन क्या समाज, मीडिया की कोई जिम्मेदारी नही।* अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में कुछ भी परोस दोगे क्या?

*आप तो अखबार पढ़कर, News देखकर बस गुस्सा निकालेंगे, कोसेंगे सिस्टम को, सरकार को, पुलिस को, प्रशासन को, DP बदल लेंगे,* सोशल मीडिया पे खूब हल्ला मचाएंगे, *बहुत ज्यादा हुआ तो कैंडल मार्च या धरना कर लेंगे* लेकिन....

*TV, चैनल्स, वालीवुड, मीडिया को कुछ नही कहेंगे।* क्योकि वो आपके मनोरंजन के लिए है । 
सच पुछिऐ तो *TV Channels अश्लीलता* परोस रहे है ...
*पाखंड परोस रहे है,*
झूंठे विषज्ञापन परोस रहे है ,
झूंठेऔर सत्य से परे ज्योतिषी पाखंड से भरी कहानियां एवं मंत्र, ताबीज आदि परोस रहै है
*उनकी भी गलती नही है, क्योंकि हम आप खरीददार हो .....??*
*बाबा बंगाली, तांत्रिक बाबा, स्त्री वशीकरण के जाल में खुद फंसते हो।*

3) *अभी टीवी का खबरिया चैनल मंदसौर के गैंगरेप की घटना पर समाचार चला रहा है।*

*जैसे ही ब्रेक आये :* 
*पहला विज्ञापन बोडी स्प्रे का जिसमे लड़की आसमान से गिरती है,*
*दूसरा कंडोम का,* 
*तीसरा नेहा स्वाहा-स्नेहा स्वाहा वाला,* 
*और चौथा प्रेगनेंसी चेक करने वाले मशीन का......*
जब हर विज्ञापन, हर फिल्म में नारी को केवल भोग की वस्तु समझा जाएगा तो बलात्कार के ऐसे मामलों को बढ़ावा मिलना निश्चित है ......

क्योंकि
*"हादसा एक दम नहीं होता,*
*वक़्त करता है परवरिश बरसों....!"*
ऐसी निंदनीय घटनाओं के पीछे निश्चित तौर पर भी बाजारवाद ही ज़िम्मेदार है ..

4) आज सोशल मीडिया इंटरनेट और फिल्मों में @पोर्न परोसा जा रहा है ।
तो बच्चे तो बलात्कारी ही बनेंगे ना I

ध्यान रहे समाज और मीडिया को बदले बिना ये आपके कठोर सख्त कानून कितने ही बना लीजिए।
ये घटनाएं नही रुकने वाली है।

*इंतज़ार कीजिये बहुत जल्द आपको फिर केंडल मार्च निकालने का अवसर* 
हमारा स्वछंद समाज, बाजारू मीडिया और गंदगी से भरा सोशल मिडीया देने वाला है ।

*अगर अब भी आप बदलने की शुरुआत नही करते हैं तो समझिए कि ......*

फिर कोई भारत की बेटी
निर्भया
आसिफा
गीता
दिव्या
संस्कृति
की तरह बर्बाद होने वाली है।

*आपको आपकी बेटियां बचाना है तो सरकार कानून पुलिस के भरोसे से बाहर निकलकर समाज मीडिया और सोशल मीडिया की गंदगी साफ करने की आवश्यकता है।*

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शुक्रवार, 8 जून 2018

1 Frequently Asked Questions
India Post Payments Bank (IPPB)

2 Concept of Payments Bank

1. What is a Payments Bank?
A Payments Bank is a “differentiated bank” set-up under the guidelines issued on Nov 27, 2014 by the Reserve Bank of India (RBI) to further financial inclusion for the underserved population by providing (i) current and savings accounts and (ii) payments or remittance services to migrant labour workforce, low income households, small businesses, unorganised sector entities and other users. This is to be done by enabling high volume-low value transactions in deposits and payments or remittance services in a secure technology-driven environment.

2. Why is a Payments Bank required?
A vast majority of the rural population (over 60%, as per RBI), is still unbanked or underbanked. An easily accessible payments network and universal access to savings is fundamental to financial inclusion. At the same time, several non-banking entities such as the Department of Posts (DoP), prepaid payment instrument companies, business correspondent companies, etc., have had reasonable success in facilitating payments and other select financial services in urban areas. Their customers, however, face several limitations and difficulties arising out of their non-banking status. Of particular note amongst these is the DoP which has a wide network and experience of handling financial transactions, but does not have a banking license. Given their potential to further the cause of financial inclusion, the RBI granted such entities a differentiated banking license, i.e. a payments bank license, which enables these entities to provide banking services other than credit. Credit and insurance are as integral to financial inclusion as are other banking services, and payments bank can offer these products as well but only in partnership with other banks/ insurers and on a non-risk sharing basis.

3. What is the scope and activities of the Payments Bank?
As per the RBI Guidelines, the payments bank will be set up as a differentiated bank and shall be permitted to set up its own outlets such as branches, Automated Teller Machines (ATMs), Business Correspondents (BCs), etc. to undertake only certain restricted activities permitted to banks under the Banking Regulation Act, 1949, as given below:
 Acceptance of demand deposits, i.e., current deposits, and savings bank deposits from individuals, small businesses and other entities, as permitted. The payments bank will be restricted to holding a maximum balance of Rs. 1,00,000 per individual customer.
 Issuance of ATM / Debit Cards. Payments banks, however, cannot issue credit cards.
 Payments and remittance services through various channels including branches, Automated Teller Machines (ATMs), Business Correspondents (BCs) and mobile banking.
 Issuance of PPIs as per instructions issued from time to time under the PSS Act.
 Internet and mobile banking - The payments bank is expected to leverage technology to offer low cost banking solutions.
 Functioning as Business Correspondent (BC) of another bank – a payments bank may choose to become a BC of another bank, subject to the RBI guidelines on BCs.
 As a channel, the payments bank can accept remittances to be sent to or receive remittances from multiple banks under a payment mechanism approved by RBI, such as RTGS / NEFT / IMPS.
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 Payments banks will be permitted to handle cross border remittance transactions in the nature of personal payments or remittances on the current account.
 Payments banks can undertake other non-risk sharing simple financial services activities, not requiring any commitment of their own funds, such as distribution of mutual fund units, insurance products, pension products, etc. with the prior approval of the RBI and after complying with the requirements of the sectoral regulator for such products.
 The payments bank may undertake utility bill payments etc. on behalf of its customers and general public.

4. Are there any restrictions on payments banks as compared to other commercial banks?
Given that their primary role is to provide payments and remittance services and demand deposit products to small businesses and low-income households, payments bank will initially be restricted to holding a maximum balance of Rs. 1,00,000 per individual customer.
Payments banks cannot issue credit cards and cannot grant loan/ credit out of their own books of accounts.
Apart from amounts maintained as Cash reserve ratio (CRR) with RBI, Payments Bank will be required to invest minimum 75 percent of its demand deposit balances in Government securities/treasury bills with maturity up to one year and hold maximum 25 percent in current and fixed deposits with other scheduled commercial banks for operational purposes and liquidity management.
The payments bank cannot set up subsidiaries to undertake non-banking financial services activities. The other financial and non-financial services activities of the promoters, if any, should be kept distinctly ring-fenced and not comingled with the banking and financial services business of the payments bank.
The payments bank will be required to use the words “Payments Bank” in its name in order to differentiate it from other banks.
5. Has this model of Post office setting up a bank worked anywhere else in the world?
Postal operators are the leading financial services providers in over 75% of the countries around the world. Some of the Post Banks in the world have been highly successful, i.e. Japan, New Zealand, Switzerland, France, China, South Korea, South Africa, Morocco to name a few.
Department of Post
6. Why is DoP setting-up a payments bank?
DoP has been successfully running the Post Office Savings Bank for the Ministry of Finance. Setting up its independently owned bank is the next logical progression. Based on feasibility studies and a subsequent Detailed Project Report, the Department, in 2013, made an application to the RBI and a proposal to the Public Investment Board (PIB) to set up a universal bank. However, the Department was advised by the PIB to set up a “differentiated bank” under the relevant guidelines. Accordingly when the RBI came up with the guidelines for licensing of Payments Banks in November 2014, the Department of Posts made an application for the same and got the in-principle approval in September 2015 for setting up its payments bank.
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The setting up of the payments bank is therefore necessary in view of current market realities and to ensure continued relevance of DoP’s products and services. Among other things, the decision to set up the payments banks comes in the wake of changes in the banking and payments landscape in the country. The payments bank will ensure that the banking and payments services offered through the postal network are well integrated and completely interoperable with the rest of the banking and payments ecosystem and will leverage new age technology in line with key technological advances in the banking sector such as unified payments interface (UPI).
7. What is the GOI’s outlook on DoP’s foray into banking?

“The Government is committed to increasing access of the people to the formal financial system. In this context, Government proposes to utilize the vast Postal network with nearly 1, 54,000 points of presence spread across the villages of the country. I hope that the Postal Department will make its proposed Payments Bank venture successful so that it contributes further to the Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana.”

In his Independence Day speech at the Red Fort, on 15th August 2016, the Hon’ble Prime Minister Shri Narendra Modi spoke about IPPB:
“The Post Office is an example of our identity. We have revived and rejuvenated our post offices. IT is now linked with the poor and small persons. If any government representative gets the affection of a common man in India, it is the postman. Everyone loves the postman and the postman also loves everybody, but we never paid attention towards them. We have taken a step to convert our post offices into payments banks. Starting with this, the payments bank will spread the chain of banks in the villages across the country in one go”

8. How will setting up the payments bank benefit DoP?
The payments bank will not only drive revenues for DoP but also help in maintaining DoP’s brand image and relevance in the current financial landscape that is evolving rapidly. For e.g. Utility bill payments services of the IPPB as a Bharat Bill Payment Operating Unit (BBPOU) will help DoP in increasing its market share in the utility bill payments space and provide technology driven services to customers. New age technology will enhance customer experience, provide more options and help in serving the larger cause and vision of the GOI i.e. to bring about financial inclusion for the vast unbanked and undeserved population.

9. What will be the role and relationship of DoP with the proposed payments bank?
The payments bank will be 100% owned by the Government of India via DoP, and will have an independent board of directors with representation from DoP and other stakeholders from within the Government of India to ensure strategic alignment with the overall objectives of the DoP and the Government of India.

The post offices at different levels will be the main customer touch points for the bank’s services. A close liaison between the bank and DoP staff at the access points will be maintained on a regular basis at the branch level for success of the delivery model
India Post Payment Bank (IPPB)

10. When will India Post Payments Bank (IPPB) start operations?
IPPB is expected to start operations in FY 2017-18

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11. How many branches are likely to be opened?
IPPB is slated to have 650 branches at district headquarters. All post offices across the country will function as customer access points for IPPB.
12. What will be the USP for IPPB?

The latest payments and banking technology, easy to use interface, the trusted network of the post office and its dedicated staff with a local connect will be the USP of the IPPB. IPPB will bring in innovative services and interface for its target customer segments in all areas. The accessibility and ease of use of services through a combination of modern technology and the widespread DoP physical network, capable of providing door step services will make it a unique payments bank. Through a combination of physical and digital channels, payments bank will build the most accessible bank in the country especially in rural and underserved areas of the country.
13. How will IPPB employees be recruited? What are the various mechanisms through which they get selected?

Various options regarding the recruitment and selection of IPPB employees have been considered. These include deputation from DoP or other public sector banks, direct recruitment through IBPS, contractual arrangements for certain skilled staff positions etc.
DoP’s role in IPPB

14. How will IPPB function?
IPPB has been set up as a Public Limited Company under the Department of Posts with an independent Board of Directors. It will be headed by a Managing Director and CEO, and will set up a corporate head quarter and approx. 650 branches to manage its functions on a day to day basis. IPPB will leverage the physical and IT infrastructure of the Post office and be set up on a lean operating model. It will focus on low-cost, low-risk, technology led solutions to extend access to formal banking.
Products and Services

15. How will the products and services of IPPB be different from DoP’s payment and remittance products?

DoP payments and remittances products are based on the basic money order services adapted for the digital age. While IPPB will provide the same benefits of payments and remittances to the customers, by adopting newer, efficient processes and technologies such as mobile based payments, digital wallets and innovative payment and remittance products that are continuously emerging in the market today. Combined with doorstep banking transactions and easy to use mobile and internet banking options IPPB will significantly improve accessibility of its services. Additionally, IPPB products will be well integrated and inter-operable with the rest of the banking industry.
IPPB will drive the benefits of financial inclusion by bringing a host of financial products to suit the needs of different strata of society with special focus on the marginalized sections and citizens in rural areas.

Product innovation will be a continuous exercise to expand the bouquet of services adapting to the evolving needs of its customers technologies and the rapid advancements in communication and payments
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16. Will there be an impact on POSB?
Apart from savings account with up to INR 1,00,000 in deposit, the products offered by IPPB are different from POSB products. POSB savings accounts do not have any ceiling limit unlike payments bank savings account. On the other hand payments banks can offer current accounts for use by businesses and institutions whereas POSB does not offer these accounts. Other kinds of deposits under POSB are unique to it and will not be on offered by the payments bank. POSB accounts are mainly savings instruments.
Simply put while POSB is more focussed on returns from small savings, IPPB will be focussed on transactions. Thus there will be an inherent synergy between the two and each will complement the other.

17. How will IPPB improve disbursement of subsidies?
IPPB is being set up by the GoI with a primary focus of improving the Direct Benefit Transfer of various subsidies. IPPB will be providing a robust technology platform for DBT disbursements and build a strong reporting mechanism. By channelling a majority of subsidy disbursements through its combined network, DoP-IPPB combine will significantly increase its current market share.
Customers

18. Who will be the target customer of IPPB?
Apart from the existing customers of the DoP, IPPB will focus on the underbanked and unbanked population in different parts of the country. It will also try to target services for MSMEs, senior citizens, students, migrant population, low income households, unorganized sector and other groups with special service requirements.

19. How will the customer choose between the savings account of POSB and IPPB?
Both POSB and IPPB will have different branding and the product features will be quite different. At time of signing up, customers will be clearly told what the product features are and customers will be able to choose the product of their choice.

Given the difference in purpose of the two accounts, the POSB customers can be encouraged to open an IPPB account for managing their fund flow including bill payments, remittances to other family members, businesses etc. depending on their needs. Customers focusing on savings may prefer to have their deposits with POSB and transact through their IPPB account as per requirements.
Customers will be given the option to channel money from their IPPB accounts to any of the POSB schemes. For example, an IPPB customer will be able to use money in his account to open and service a RD/ TD/ SSY or any other POSB account. Thus both IPPB and POSB can synergistically serve the customers.

Overall

20. I would like to know more and contribute to the IPPB journey. How can I do that?
You can send your questions and suggestions to pbi-project@gov.in or call us at +91 11 23096008 and check for regular updates on https://www.facebook.com/ippbonline/ and http://utilities.cept.gov.in/dop.

गुरुवार, 22 नवंबर 2012

डाक विभाग ने शुरू की मोबाइल मनी ट्रांसफर सेवा
डाकिया डाक लायापरKK Yadav - 15 घंटे पहले

भारतीय डाक विभाग (डीओपी) ने भारतीय संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के साथ मिलकर मोबाइल मनी ट्रांसफर सेवा शुरू की है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने 15 नवम्बर, 2012 बृहस्पतिवार को दिल्ली और केरल के बीच भारतीय डाक की इस सेवा को लांच किया। इस सेवा के जरिए कोई व्यक्ति डाकघरों में मोबाइल फोन के माध्यम से दूसरे व्यक्ति को तत्काल पैसे भेज सकेगा। इसके अंतर्गत, पैसे भेजने के लिए डाकघरों में डाक सहायक बीएसएनएल की ओर से उपलब्ध कराई गई तकनीक और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करेंगे। पैसे भेजने और प्राप्त करने वाले दोनों के पास किसी भी टेलीकॉम कंपनी का मोबाइल नंबर होना आवश्यक है। 

सोमवार, 12 नवंबर 2012

एलियन द्वारा पृथ्वी लोक का अध्ययन

     एक एलियन मंच पर आया। तालियों की गड़गड़ाहट शुरू हो गयी। तालियों की गड़गड़ाहट थमने का नाम नहीं ले रहा था कि इसी बीच मंच पर मौजूद एलियन बोल पड़ा,‘हमारे ग्रह की प्यारी-प्यारी, भोली-भाली जनता सरकार ने आपकी खुशहाली के लिए नयी व्यवस्था की खोज में हमें दूसरे ग्रह पर भेजा था। हमने पूरे मनोयोग से अपने कत्र्तव्यों का निर्वहण किया है और आपके सामने उस अध्ययन का खुलासा कर रहे हैं, जो इस प्रकार है-
      जब हमने सुना कि पृथ्वीलोक में एक भारतभूमि भी है, जहाँ 33 करोड़़ देवी-देवता विराजते हैं। हमने सोचा कि जब इतने देवी-देवता वहाँ विराजते होंगे, तो वहाँ की जनता निश्चित रूप से बह्माण्ड के सारे ग्रहों से ज्यादा आनन्द और मस्ती में रहती होगी। सो हमने निर्णय किया कि पृथ्वीलोक की व्यवस्था और उनमें लगे लोगों का ही अध्ययन किया जाये, लेकिन जब हम भारत-भूमि पर उतरे, तो देखा कि यहाँ पर तो सब कझ्छ एक दम से उल्टा-पुल्टा है।
    हम ऐसी जगह गये जहाँ पर सारे लोग, विभिन्न ध्र्म-संप्रदायों के थे, विभिन्न संस्कृतियों के थे, कई-कई जातियों में बँटे हुए थे। उनका लालच, स्वार्थ और पैसे की भूख अंतहीन थी। घृणा, द्वेष और ईष्र्या तो जैसे लोगों में पैदाइशी हों। हमें और गहन अध्ययन करना था, पूछने पर हमें वहाँ बताया गया कि कचहरी परिसर में एक साथ सभी प्रकार के मनुष्यरूपी जीव मिल जायेंगे। हम कचरही परिसर में गये, जहाँ पर न्याय करने के लिए जज थे, पेशकार थे, वकील थे, मोवक्कील थे, पुलिस थी, चोर थे, पाकेटमार थे, झपटमार थे, पत्रकार वेश में बड़े-बड़े मक्कार थे, राजनीतिज्ञ ठग और गुण्डे थे, बड़ी-बड़ी दाढ़ी और गेरूआ वस्त्रों में पंडित और पुजारी थे, साधु बाबा आदि-आदि थे, जो किसी न किसी अपराध् में शामिल थे, बड़े-बड़े हाकिम थे, जिन्हें जनता की खुशहाली के लिए नियुक्ति की गयी थी, लेकिन यहाँ हमने देखा कि कोई भी बिना पैसे लिए किसी का कोई काम नहीं करता।
    यहाँ ठगी, वैमनस्यता और एक दूसरे को नोच-खाने के लिए तरह-तरह की दूकानें खुली हुई थीं, लूटने की प्रवृति लोगों के चेहरे पर साफ झलक रही थी। यहाँ सब कझ्छ दिखाई दिया, लेकिन बड़ा अफसोस और भारी मन से कहना पड़ रहा है कि कचहरी परिसर और भारत भूमि पर मनुष्य-रूपी जीव में मनुष्यता के दर्शन नहीं हुए। किसी में इंसानियत नहीं दिखी। जहाँ भी दीखी कराहती हुई, पीडि़त और प्रताडि़त रूप में दिखी।
 
     अब आप खुद फैसला करें कि हमें कैसी व्यवस्था चाहिए। सभा विसर्जित कर दी जाती है।

 
साभार अरुण कुमार झा
प्रधान संपादक (दृष्टिपात हिंदी मासिक)
प्रसारक -  सिया राम भारती 


 



गुरुवार, 1 नवंबर 2012

जीवन सूत्र 


 1-  लक्ष्य के बिना  जीवन बिना पता लिखे लिफाफे के समान है  जो कहीं  नहीं पहुंच  सकता !

 2-  एक पत्थर सिर्फ एक बार मंदिर जाता है और भगवान् बन जाता है , हम इंसान हर रोज मंदिर जाते हैं फिर  भी पत्थर ही रहते हैं !

3-  यदि जीवन में लोकप्रिय होना  हो तो सबसे ज्यादा "आप " शब्द का , उसके बाद  "हम "शब्द का और सबसे कम मैं शब्द का उपयोग करना चाहिए !

4-  मंजिल मिल जाएगी  भटकते ही सही , गुमराह तो वो हैं जो घर से निकलते ही नहीं  !

5-  अगर लगने लगे कि  लक्ष्य हांसिल नहीं हो पायेगा , तो लक्ष्य को नहीं प्रयासों  को बदलें !

6-  टूट जाता है गरीबी में वो रिश्ता जो खास होता है , हजारों रिश्ते बनतें  हैं जब  पैसा  पास होता है !

7-  जन्म के लगभग दो वर्षों  बाद इंसान बोलना  सीख लेता है लेकिन क्या बोलना है ये सीखने में पूरा जीवन लगा देता है !

8-  श्वयम पर विश्वाश करके , पूरे आत्मविश्वाश के साथ कार्य करें  हम सब कुछ कर सकतें हैं!
भारती के हाइकू

 उनसे  मिले
मन हुआ द्रवित
नयन झरे


न झकझोर
प्रीत की वह डोर
मन टूटेगा


वे आ तो गए
हुए न नजरबंद
चछु -कोर में


मिली नजर
तन-मन मगन
मिला गगन


दिल के टुकड़े
यादों  संग जकड़ें
चलें  अकेलें

गुरुवार, 13 सितंबर 2012




ALLAHABAD: Sending a letter of love, appreciation or good will from the spiritual spot of the confluence of Ganga, Yamuna and the mythical Saraswati is likely to become an easy task, as the postal department is all set to establish a floating post office near the Sangam, much to the convenience of devotees, who come from far and wide. The sea of humanity in Allahabad during the 2013-Mahakumbh may pose a stiff challenge for the telecom operators and service providers, as the lines of communications may get choked due to excess overload.  By Shri K.K.Yadav DPS Allahabad

बुधवार, 5 सितंबर 2012

हिन्दी पखवाड़ा

हिन्दी में बोले और गायें
निशदिन 'हिन्दी दिवस मनाये
आओ हम खुद को पहचाने
अंग्रेजी संग हुए बेगाने
जिसे बोलते जीभ लचकती
अधरो पर मुस्कान न आये।
हिन्दी में बोले और गायें
निशदिन 'हिन्दी दिवस मनाये

'हिन्दी का आया पखवाड़ा
भागी इंगिलश देख अखाड़ा
भाव विखर कर गिरती जाती
हिन्दी के सम्मुख टिक न पाती
कर्णप्रिय लगती 'निज" भाषा
जन-जन में ये भाव जगाये
हिन्दी मे बोलें और गायें
निशदिन दिवस मनायें

हिन्दी की उन्नति की खातिर
तन-मन से यदि होगे हाजिर
उन्नति भी अपनी ही होगी
दुनिया सपनों सी ही होगी
रहे अंधेरा न कहीं धरा पर
आओ, ऐसा दीप जलायें
हिन्दी में बोले और गायें
निशदिन हिन्दी दिवस मनायें

मेरा पहला गुरू

मां ने
बहुत सरल बहुत प्यारी
बहुत भोली
मां ने
बचपन में
मुझे एक गलत
आदत सिखा दी थी
कि सोने से पहले
एक बार
बीते दिन पर
नजर डालो और
सोचो कि तुमने
दिन भर क्या किया
बुरा या भला
सार्थक या निरर्थक
मां तो चली गई
सुदूर क्षितिज के पार
और बन गई
एक तारा नया
इधर जब रात उतरती है
और नींद की गोली खाकर
जब भी मैं सोने लगता हूं
तो अचानक
एक झटका सा लगता है
और
मैं सोचते बैठ जाता हूं
कि दिन भर मैंने
क्या kiya कि
आज के दिन
मैं कितनी बार मरा
कितनी बार जिया
फिर जिया
इसका हिसाब
बड़ा उलझन भरा है
मेरा वजूद जाने कितनी बार मरा है
यह दिन भी बेकार गया
मैंने देखे
मरीज बहुत
ठीक भी हुए कई
पर नहीं है
यह बात नई
इसी तरह तमाम जिन्दगी गई
जो भी था मन में
जिसे भी माना
मैंने सार्थक
तमाम उम्र भर
वह आज भी नहीं कर पाया मैं
न तो कभी
अपनी मर्जी से जिया
न ही
अपनी मर्जी से मर पाया मैं।


शुक्रवार, 29 जून 2012

kabooter bana Dakiya

पुराने समय में ही नहींए बल्कि 19 वीं सदी की शुरुआत में होने वाले पहले विश्वयुद्ध तक कबूतर से संदेश भेजा जाता था। कबूतरों में भी होमिंग प्रजाति इसके लिए विशेष रूप से जानी जाती थी। होमिंग प्रजाति के कबूतरों की विशेषता थी कि वे उन्हें एक जगह से अगर किसी जगह के लिए भेजा जाता तो वे अपना काम करने के बाद वापस लौटकर अपनी जगह आते थे। इससे संदेश पहुंच जाने की पुष्टि भी हो जाती थी। बताया जाता है कि होमिंग प्रजाति के कबूतर अपनी जगह से 1600 किमी आगे उड़कर जाने पर भी रास्ता भटके बिना वापस लौट आते थे। उनके उड़ने की रफ्तार भी 60 मील प्रति घंटा होती थी i

सोमवार, 21 मई 2012

नेता

 टिकट लेने गये उम्मीदवार से
सवाल किया गया
कि नेता क्या होता है?
उम्मीदवार कुछ हिचकिचाया
और अगले पल मुस्कुराया
उने चारो ओर निगाह दौडाइ
मुस्कुराते हुये बोला भाइ
जो सख्श देश की रक्षा के लिये
आपको सहर्ष कुर्वान कर देता है।
वही आज का प्रगतिवादी नेता है।

शनिवार, 12 मई 2012

मातृ-दिवस

मातृ-दिवस

हर दिन मेरी  माँ  का दिन
कुछ भी नहीं मैं माँ के बिन
हर पल पोषा जन्म दिया
पाला-पोषा नाम दिया
मुझे संवारा दिन गिन-गिन

हर दिन मेरी  माँ का दिन
कुछ भी नहीं मैं माँ के बिन

बुधवार, 28 मार्च 2012

श्रमिक

तपे दुपहरी जेष्ठ महीना
टप-टप तन से चुए पसीना
सर पर लादे भारी ईंटे
चहरे पर मोती सी छींटें
गर्व से करता उन्नत सीना........

तपे दुपहरी जेष्ठ महीना............

जागी आखों में है सपने
उसके पीछे जो हैं अपने
अपनों में हैं बीबी-बच्चे
उदर रिक्त पर मन के सच्चे
रहे सदा ही रूश्वाई में
खेल रहें वे तन्हाई में
पास नहीं है कोई खिलौना........

तपे दुपहरी जेष्ठ महीना...........

खुले नयन दर्दीला सपना
न ही पूर्ण वसन हैं तन पर
न ही तन पर कोई गहना
याद उसे है बीते कल की
इन चीजों की न कोई कमी थी
रहे सदा सैकड़ौं चाकर
बच्चें -खेलें कूदे अंगना.............

तपे दुपहरी जेष्ठ महीना............

इसीलिए प्रयास कर रहा
निज-सम्पतित हो आश कर रहा
सफर अभी बहुत है बाकी
लुप्त हो गयी खुद की झांकी
भारती वो खुद को रहा खोजता
फिर भी खुद को मिला कहीं ना.......

तपे दुपहरी जेष्ठ महीना
टप-टप तन से चुए पसीना