गुरुवार, 1 नवंबर 2012

भारती के हाइकू

 उनसे  मिले
मन हुआ द्रवित
नयन झरे


न झकझोर
प्रीत की वह डोर
मन टूटेगा


वे आ तो गए
हुए न नजरबंद
चछु -कोर में


मिली नजर
तन-मन मगन
मिला गगन


दिल के टुकड़े
यादों  संग जकड़ें
चलें  अकेलें

1 टिप्पणी:

Alpana Verma अल्पना वर्मा ने कहा…

गहन भाव लिए हैं सभी हाईकु