तपे दुपहरी जेष्ठ महीना
टप-टप तन से चुए पसीना
सर पर लादे भारी ईंटे
चहरे पर मोती सी छींटें
गर्व से करता उन्नत सीना........
तपे दुपहरी जेष्ठ महीना............
जागी आखों में है सपने
उसके पीछे जो हैं अपने
अपनों में हैं बीबी-बच्चे
उदर रिक्त पर मन के सच्चे
रहे सदा ही रूश्वाई में
खेल रहें वे तन्हाई में
पास नहीं है कोई खिलौना........
तपे दुपहरी जेष्ठ महीना...........
खुले नयन दर्दीला सपना
न ही पूर्ण वसन हैं तन पर
न ही तन पर कोई गहना
याद उसे है बीते कल की
इन चीजों की न कोई कमी थी
रहे सदा सैकड़ौं चाकर
बच्चें -खेलें कूदे अंगना.............
तपे दुपहरी जेष्ठ महीना............
इसीलिए प्रयास कर रहा
निज-सम्पतित हो आश कर रहा
सफर अभी बहुत है बाकी
लुप्त हो गयी खुद की झांकी
भारती वो खुद को रहा खोजता
फिर भी खुद को मिला कहीं ना.......
तपे दुपहरी जेष्ठ महीना
टप-टप तन से चुए पसीना
Postmaster General Krishna Kumar Yadav releases special cover on the Ram
Navami
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In a program organized under the aegis of Postal Department and Prayag
Philatelic Society, Postmaster General of Varanasi & Prayagraj Region Shri
Krishna...
11 घंटे पहले
1 टिप्पणी:
बहुत सराहनीय प्रस्तुति....!!
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