बिना लगाये लगता निशदिन
महंगाई का टीका
इस टीके से होता निशदिन
स्वाद में हर रस फीका
स्वाद में हर रस फीका
अब तो छूटी नान खटाई
सपनों में कालीने केवल
घर में फटी चटाई
घर में फटी छटाई
पर है हाथों में मोबाईल
जेब में पैसें भलें न हों
पर है होंठों पर इश्माइल
है होंठों पर इश्माइल
करते धन पाने की बातें
टीके से बचने की खातिर
भारती हर दिन गिनते रातें
1 टिप्पणी:
मंहगाई पर करारी चोट की है.
'जेब में पैसें भलें न हों पर है होंठों पर इश्माइल है होंठों पर इश्माइल करते धन पाने की बातें '
*यही स्थिति हो गयी है अब माध्यम वर्ग की.
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