शनिवार, 5 सितंबर 2009

मौत से इतना डरोगे तो बताओ

आनन्द जीने का भला क्या ले सकोगे

जिन्दगी जब मौत से हो जाय भारी

मौत से दामन छुडाकर कर क्या करोगे

2 टिप्‍पणियां:

kshitij ने कहा…

डरके जीना भी भला जीना है कोई
वो भी इस दुनिया में जहां हर कोई
काटने को तैयार है बैठा है छुपके
तनके सीखो चलना तुम सड़कों पे समझे

चाहत ने कहा…

आपको पड़ कर अच्छा लगा।
धन्यवाद