तहजीब और नफासत के लिए मशहूर लखनऊ के निवासी. भारतीय डाक विभाग में सहायक अधीक्षक के पद पर कार्यरत. लिखने-पढने की अभिरुचि यहाँ तक खींच लाई, सो अब ब्लागिंग में भी सक्रिय. देश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में रचनाएँ प्रकशित. यहाँ मेरे ब्लॉग 'भारती का ब्लॉग' पर आप पायेंगें मेरी रचनाएँ, विचार और भी बहुत कुछ. अभी सीखने की प्रक्रिया में हूँ, अत: आप सभी के मार्गदर्शन का आकांक्षी भी हूँ !!
वृंदावन ,मथुरा (April,2023)
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छुट्टियों वाले दिनों में किसी भी पर्यटन स्थल पर जाने से बचना चाहिए ,परंतु
यदि कोई अन्य विकल्प न हो तो जाना भी पड़ता है ,बस सावधानी रखनी होती है कि भीड़
से ब...
सावनी और अन्य कवितायें - निहाल सिंह
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*सावनी और अन्य कवितायें - निहाल सिंह*
* सावनी*
काली घटाएँ करती शोर
वन में नाचें पपीहा मोर
मन-मोहक ऋतु आई ऐसी
छाइ हरीतिमा चारों और
अंबर में विधुत्त चमचम...
तुम्हारे शक्ल जैसी एक लड़की रोज मिलती है
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तुम्हारी ज़ुल्फ़ से गिरती मेरे कंधे भिगोती है,
बिना बादल बिना मौसम के ये बरसात कैसी है।
सियाही ख़त्म होती है मगर पन्ने नही भरते,
तुम्हे पाकर तुम्हे खोना कहानी ...
रंग रंग राधा हुई, कान्हा हुए गुलाल
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रंग रंग राधा हुई, कान्हा हुए गुलाल
वृंदावन होली हुआ सखियाँ रचें धमाल
होली राधा श्याम की और न होली कोय
जो मन रांचे श्याम रंग, रंग चढ़े ना कोय
नंदग्राम की भी...
अनुभव और संकल्प से रचें नया वर्ष-2016
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नए साल की शुरूआत पर कुछ नया सोचें, नया लिखें, नया करें, नया कहें और नया
रचें। प्रश्न है नया हो क्या? क्या कलेण्डर बदल देना ही नयापन है? पर मूल में
तो सबकु...
ब्लॉग लेखकों के लिए आवश्यक सूचना
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मगर कोडि...
2 टिप्पणियां:
डरके जीना भी भला जीना है कोई
वो भी इस दुनिया में जहां हर कोई
काटने को तैयार है बैठा है छुपके
तनके सीखो चलना तुम सड़कों पे समझे
आपको पड़ कर अच्छा लगा।
धन्यवाद
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