आओ उनकी याद दिलायें
जो अब नहीं मिलते
जो अपने फटे मामलों को
कभी नही सिलते
ये हैं लुटिया चोर, टिकिया
चोर मुर्गी चोर , अण्डा चोर
ये चोर वक्त की करवट की तरह
अब ठण्डे आमलेट हो गये हैं
वक्त की पर्त में लम्पलेट हो गये हैं
आज आधुनिक युग विकसित चोर पाये जाते हैं
जैसे ‘कर’ चोर, बिजली चोर
ये चोर बहुतायत में पाये जाते हैं
आज ‘चित-चोर’ की जगह
‘‘वित्त-चोर’’ का बोल बाला है
इस चोर ने समाज औ सरकार का
हर नट-बोल्ट खोल डाला है
इन नये चोरों का एक ही सिद्धान्त है
इनकी कृत्य की कड़ी का अलबेला वृतान्त है
कि केवल वित्त ही चुराओ
यदि कभी पकडे़ जाओं
तो ‘‘वित्त’’ देकर ही
सामने वाले का ‘चित’ चुराओ
Purvanchal Gaurav Samman : वाराणसी और प्रयागराज परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर
जनरल कृष्ण कुमार यादव 'पूर्वांचल गौरव सम्मान' से विभूषित
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वाराणसी और प्रयागराज परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव
को प्रशासन और साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियों हेतु "पूर्वांचल
गौरव सम्...
21 घंटे पहले
2 टिप्पणियां:
‘‘वित्त-चोर’’ का बोल बाला है
इस चोर ने समाज औ सरकार का
हर नट-बोल्ट खोल डाला है
इन नये चोरों का एक ही सिद्धान्त है
इनकी कृत्य की कड़ी का अलबेला वृतान्त है
भारती जी
आपकी रचना वर्तमान व्यवस्था पर करार व्यंग्य करती है ..पर क्या कहें यह लोग नहीं सुधरने वाले ...आपने बहुत सजीदगी से पिरोया है शब्दों को ...शुक्रिया आपका ...हार्दिक शुभकामनायें
आपका लेखन बहुत सशक्त है यूँ ही अनवरत लिखते रहिये ...ब्लॉग जगत तो समृद्ध करते रहिये ...शुक्रिया
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