चली चर्चा एक बार कवित्व पर
कि ‘कविता क्या होती है?
किसी ने कहा कि
‘कविता’ कवि का भाव है
‘कवि के विचारों का
क्रमात्मक बहाव है’
किसी ने सराहा कि
‘कवि अपने दर्द को
कागज पर उकेरता है’
अपने खुशी भरें पलो को
अंलकारों और रसों से संवार कर
लेखनी की उन्मत् चाल से
शब्दों को वाक्यों में पिरोकर
कागज पर सहेजता है
वह जो समाज में देखता है
उसे ही ढ़ालकर आइने में
समाज को आईना दिखाता है
कवि अपने कल्पना रूपी पंखो से
लेखनी की थिरकन पर
वहाँ पहुँच जाता है
Postmaster General Krishna Kumar Yadav releases special cover on the Ram
Navami
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In a program organized under the aegis of Postal Department and Prayag
Philatelic Society, Postmaster General of Varanasi & Prayagraj Region Shri
Krishna...
1 दिन पहले
3 टिप्पणियां:
..बहुत सुन्दर परिभाषित किया है आपने कवित्व को....आर सारांश में ये पक्तियों बेहद अच्छी लगी....
वह जो समाज में देखता है
उसे ही ढ़ालकर आइने में
समाज को आईना दिखाता है
कवि अपने कल्पना रूपी पंखो से
लेखनी की थिरकन पर
वहाँ पहुँच जाता है
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