कर्म ऐसे हों कि दुनिया याद रखें ,
तेरे ही दीदार को हर आँख तरसे ॥
मिलते बिछड़ते और जब भी हो जुदाई ,
अश्रु से परिपूर्ण हो तेरी बिदाई ॥
उस पथ के हों सह्श्त्रों अनुगामी ,
जिस पथ पर तू अकेला ही चला था ॥
कर्म ऐसे हों कि दुनिया याद रखें ,
तेरे ही दीदार को हर आँख तरसे ॥
मिलते बिछड़ते और जब भी हो जुदाई ,
अश्रु से परिपूर्ण हो तेरी बिदाई ॥
उस पथ के हों सह्श्त्रों अनुगामी ,
जिस पथ पर तू अकेला ही चला था ॥