हर रात की सुबह होगी जरूर
फिर भी तडप-तड़पकर
क्यों हो जीने पर मजबूर
कभी तो महकेंगें, हर क्षण
तुम्हारी जीवन की बगिया के
खेलेंगी खुशियाँ
तुम्हारे दामन में भरपूर
और आयेंगे तुम्हारे द्वार
ढेरों खुशियों के उपहार
और तुम्हारे सारे दुःख
होगें तुमसे दूर !!!
Akshitaa (Pakhi) earned the distinction of being the youngest recipient of
the 'National Child Award' and gained fame as a blogger
-
The 21st century belongs to technology. Today’s children start using mobile
phones and laptops at a very young age. With the increasing use of
technology...
3 दिन पहले

7 टिप्पणियां:
Aap ki pahli kavita padne ko mili. Khusi hue. Bhut khoob.
"हर रात की सुबह होगी जरूर
फिर भी तडप-तड़पकर
क्यों हो जीने पर मजबूर"
यही तो त्रासदी है मनुष्य के सोंच और जीवन शैली की.
सुधार में सहयोग देने की हिमाकत करते नहीं, शार्टकट से धनी बनाने की ख्वाहिशे जरूर पाल लेते हैं .......
सुन्दर और गहरे भाव से भरी आपकी यह प्रस्तुति पसंद आयी.
आभार.
Sundar abhivyakti..badhai !!
Wah....khub likha..Congts.
आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
रचना गौड़ ‘भारती’
Nice one.
पाखी की दुनिया में "बाइकिंग विद् पाखी" http://pakhi-akshita.blogspot.com/
शुभकामनाएं
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