जन्म लेने से पहले ही
मार दी जाती है ‘बाला’
न रहम उसकी खातिर
न उसके पथ में ‘उजाला’
अगर बच गयी
यदि जन्म ले लिया तो
जकड़ दी जाती
फौलादी बेडियों में
दबकर, सिमट कर
है जीना उसकी फितरत
बसर कर रही है
कई भेडि़यों में
ले आवलम्बन अभी भी
सदा जी रही है
कटु, विष के प्याले
सदा पी रही है
कभी माता-पिता तो
कभी पति की दासी
है ‘ममता’ का सागर
रहती फिर भी है प्यासी
नहीं सुख का आंचल
”भारती“है गहरी उदासी
जन्मदिन व वर्षगांठ जैसे महत्वपूर्ण दिनों पर वृक्षारोपण कर दी जा सकती है
समाज को नई दिशा - पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव
-
पर्यावरण की रक्षा के लिए जरुरी है कि हम इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करने के
साथ पौधारोपण को जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण दिनों से जोड़ें। भारतीय परंपरा
में ...
9 घंटे पहले