-गरीब लड़की-
सामाजिक दहलीज पर
अपने घर के कोने की तरह
रह रह कर ठिठक जाती है
एक गरीब की लड़की
उसी समाज में जहाँ
कम एवं छोटे वस्त्र पहनना
नित्य नया फैशन माना जाता है
वहीँ गरीब की लड़की
अपने फटे वस्त्रों में
अपनी लाज छुपाने के लिए
बार बार सिमट जाती है।
उसे महसूस होत है
उन निगाहों की चुभन
जो बेहयाई से झांकती हैं
सूक्ष्म छिद्रों से उसका तन
और वह पी जाती है पीड़ा
मसोसकर अपना मन
My Stamp : अब अपने जन्मदिन, विवाह व सालगिरह पर भी लोग जारी करवा सकेंगे डाक
टिकट - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव
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1 हफ़्ते पहले