अब मैंने भी सीखा पढ़ना ,
छोड़ दिया दीदी संग लड़ना
रोज सुबह उठकर मम्मा संग,
अपनी ढूँढू कापी
छोड़ी मैंने चाकलेट,
औ खाना छोड़ा टाफी
पीना सीखा दूध गरम
अब छोड़ दिया है रसना
अब मैंने भी सीखा पढ़ना ,
छोड़ दिया दीदी संग लड़ना
मैं भी अपने पापा के संग
अब रोज नहाता हूँ।
उससे पहले झटपट निशदिन
माॅर्निंग-वाक पे जाता हूँ।
खेल-खेल में हँस कर पढ़ना,
है अब दिनचर्या मेरी
दादी-दादा के संग रहना,
अब है परिचर्चा मेरी
मुझे डाँटते न अब भैया,
खूब प्यार करे अब बहना।
अब मैंने भी सीखा पढ़ना ,
छोड़ दिया दीदी संग लड़ना
Shree Dwarkadhish Temple : द्वारकाधीश श्री कृष्ण की द्वारका नगरी आज भी
रहस्यमयी है
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वर्तमान उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृन्दावन में पले-बढे और रास-लीला रचाते
कृष्ण-कन्हैया गुजरात में आकर द्वारकाधीश हो जाते हैं। हम लोग उनकी बाल-लीला,
रास-ली...
3 दिन पहले
1 टिप्पणी:
Sundar abhivyakti...badhai.
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