आओ उनकी याद दिलायें
जो अब नहीं मिलते
जो अपने फटे मामलों को
कभी नही सिलते
ये हैं लुटिया चोर, टिकिया
चोर मुर्गी चोर , अण्डा चोर
ये चोर वक्त की करवट की तरह
अब ठण्डे आमलेट हो गये हैं
वक्त की पर्त में लम्पलेट हो गये हैं
आज आधुनिक युग विकसित चोर पाये जाते हैं
जैसे ‘कर’ चोर, बिजली चोर
ये चोर बहुतायत में पाये जाते हैं
आज ‘चित-चोर’ की जगह
‘‘वित्त-चोर’’ का बोल बाला है
इस चोर ने समाज औ सरकार का
हर नट-बोल्ट खोल डाला है
इन नये चोरों का एक ही सिद्धान्त है
इनकी कृत्य की कड़ी का अलबेला वृतान्त है
कि केवल वित्त ही चुराओ
यदि कभी पकडे़ जाओं
तो ‘‘वित्त’’ देकर ही
सामने वाले का ‘चित’ चुराओ
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