राह उड़ती धूल ने तुझको पुकारा '
और बहती पवन ने "दामन" संवारा !
मुस्कराते "चाँद" ने भी चाँदनी दी '
और "रजनी" तेरे ही आगोश में थी !
डगमगाते पग भी जब संवर न पायें '
तो बताओ राह चलकर क्या करोगे !
जिंदगी कि लहर में न टिक सके तो '
मौत कि पगडंडियों में भटकते रहोगे !
कदम क्योँ बढाते हो नजरें झुकाकर '
हो क्यों भागते दुःख से दामन छुडाकर !
झंझावतों से जो टकरा न पाए '
तो अंध-कन्दराऔ में भटकते रहोगे !
My Stamp : अब अपने जन्मदिन, विवाह व सालगिरह पर भी लोग जारी करवा सकेंगे डाक
टिकट - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव
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आजकल हर कोई जन्मदिन, शादी, सालगिरह या रिटायरमेंट को यादगार बनाने के लिए कुछ
अनूठा करना चाहता है। पर कभी आपने सोचा है कि आपके जीवन के इन महत्वपूर्ण पलों
प...
5 हफ़्ते पहले
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर रचना । आभार
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