जन्म लेने से पहले ही
मार दी जाती है ‘बाला’
न रहम उसकी खातिर
न उसके पथ में ‘उजाला’
अगर बच गयी
यदि जन्म ले लिया तो
जकड़ दी जाती
फौलादी बेडियों में
दबकर, सिमट कर
है जीना उसकी फितरत
बसर कर रही है
कई भेडि़यों में
ले आवलम्बन अभी भी
सदा जी रही है
कटु, विष के प्याले
सदा पी रही है
कभी माता-पिता तो
कभी पति की दासी
है ‘ममता’ का सागर
रहती फिर भी है प्यासी
नहीं सुख का आंचल
”भारती“है गहरी उदासी
Shree Dwarkadhish Temple : द्वारकाधीश श्री कृष्ण की द्वारका नगरी आज भी
रहस्यमयी है
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वर्तमान उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृन्दावन में पले-बढे और रास-लीला रचाते
कृष्ण-कन्हैया गुजरात में आकर द्वारकाधीश हो जाते हैं। हम लोग उनकी बाल-लीला,
रास-ली...
2 दिन पहले